सूर्य नमस्‍कार रोजाना सिर्फ 10 मिनट करने से मिलेंगे अद्भुत चमत्कारी फायदे | Surya Namaskar daily for just 10 minutes, you will get amazing miraculous benefits.

सूर्य नमस्‍कार रोजाना सिर्फ 10 मिनट करने से मिलेंगे अद्भुत चमत्कारी फायदे...


सूर्य नमस्कार, योगासनों में सबसे श्रेष्ठ क्रिया है। यह अकेला अभ्यास ही साधक को सम्पूर्ण योग व्यायाम का लाभ पहुंचाने में सहायक है। इसके अभ्यास से साधक का शरीर निरोग और स्वस्थ होकर तेजस्वी हो जाता है। सूर्य नमस्कार, स्त्री, पुरुष, बच्चे, युवा तथा वृद्धों सभी के लिए उपयोगी है..

इसे सेव कर सुरक्षित कर लें, ऐसी जानकारी कम ही मिलती है..

इसके कुछ लाभ इस प्रकार हैं


🔹खुले वातावरण में सूर्य नमस्कार करने से शरीर को भरपूर मात्रा में विटामिन डी vitamin D मिलता है जिससे हड्डियों में मज़बूत होती है।

🔹 वजन घटाने में यह बहुत उपयोगी है इसके नियमित अभ्याससे डाइटिंग से भी ज्यादा फायदा पहुंचता है।

🔹नियमित रूप से इसके 12 आसनों को करने से शरीर में खून का प्रवाह सही ढंग से होता है और ब्लड प्रेशर की आशंका घटती है। क्रोध और तनाव पर काबू पाने में यह बहुत मददगार है।

🔹मानसिक शांति मिलती है और व्यक्ति सारा दिन

तरोताजा रहता है।

🔹इससे रीढ़ की हड्डी मजबूत होती है।शरीर लचीला होता है।

🔹त्वचा के लिए यह बहुत लाभदायक योगासन है


सूर्य नमस्कार की विधि


सूर्य नमस्कार के दौरान 12 आसन किए जाते हैं। इन्हें करने की प्रक्रिया इस प्रकार है..


(1) दोनों हाथों को जोड़कर सीधे खड़े हों। 


(2) श्वास भरते हुए दोनों हाथों को कानों से सटाएं और हुए ऊपर की ओर तानकर भुजाओं और गर्दन को पीछे की ओर झुकाएं।

(3) अब श्वास धीरे-धीरे बाहर निकालते हुए आगे की ओर झुकें। हाथ गर्दन के साथ, कानों से सटे हुए नीचे जाकर पैरों के दाएं-बाएं पृथ्वी का स्पर्श करें। घुटने सीधे रहें।







(4) श्वास को भरते हुए बाएं पैर को पीछे की ओर ले जाएं।

गर्दन को अब पीछे की ओर झुकाएं। इस स्थिति में कुछ समय रुकें।


(5) अब श्वास को धीरे-धीरे छोड़ते हुए दाएं पैर को भी

पीछे ले जाएं जिससे दोनों पैरों की एड़ियां मिली हुई

हों। पीछे की ओर शरीर को खिंचाव दें।


(6) अब श्वास भरते हुए दंडवत लेट जाएं।


(7) अब सीने से ऊपर के भाग को ऊपर की ओर उठाएं जिससे शरीर में खिंचाव हो।


(8) फिर पीठ के हिस्से को ऊपर उठाएं। सिर धुका हुआ हो और शरीर का आकार पर्वत के समान हो।


(9) अब पुनः चौथी प्रक्रिया को दोहराएं यानी बाएं पैर को पीछे ले जाएं।

(10) अब तीसरी स्थिति को दोहराएं यानी श्वास धीरे-धीरे बाहर निकालते हुए आगे की ओर झुकें। हाथ गर्दन के साथ, कानों से सटे हुए नीचे जाकर पैरों के दाएं-बाएं पृथ्वी का स्पर्श करें।


(11) श्वास भरते हुए दोनों हाथों को कानों से सटाएं और हुए ऊपर की ओर तानकर भुजाओं और गर्दन को पीछे की ओर झुकाएं


(12) अब फिर से पहली स्थिति में आ जाएं।



जय सनातन धर्म, जय श्रीराम, जय गोविंदा

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